» » » How to invest in mutual fund

STEP 1. अपनी निवेश जरूरतों की पहचान करें।
आपके वित्तीय लक्ष्य आपकी आयु, जीवन–पद्धति, वित्तीय स्वतन्त्रता, पारिवारिक जिम्मेदारियों, आय एवं व्यय के स्तर, आदि बातों के अनुसार अलग–अलग हो सकते हैं। इसीलिए सबसे पहले अपनी जरूरतों का मुआयना करें। जैसे-
1. मेरे निवेश मकसद और जरूरतें क्या हैं?
2. मुझे कितना जोखिम उठाना चाहिए?
3. मेरी नगद जरूरतें कितनी हैं?
  ऐसी प्रक्रिया से गुजरने पर आपको पता चलेगा कि आपको अपने निवेश से क्या चाहिए और आप एक स्वस्थ म्यूचुअल फंड निवेश रणनीति अपना सकेंगे।

STEP 2. सही म्यूचुअल फंड का चयन करें।

अपने मन में स्पष्ट निवेश रणनीति बनाने के बाद ही आपको म्यूचुअल फंड का चयन करना चाहिए। योजना के प्रस्ताव दस्तावेज़ों से आपको योजना के उद्देश्यों और अन्य सहायक जानकारियों जैसे योजना का अब तक का निष्पादन जैसी बातों का पता चल सकता है। किसी भी म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें।
   

उसी श्रेणी के अन्य फंडों की तुलना में इस म्यूचुअल फंड का कामकाज विगत वर्शो में कैसा रहा। इसके लिऐ आप उसके सूचकांकों का ब्योरा देख सकते हैं।
   

म्यूचुअल फंड आपको कुशल, त्वरित और व्यक्तिगत सेवाएं देने के लिए कितना संगठित है।
   

 म्यूचुअल फंड के साथ हुए संवाद के आधार पर यह देखें कि उसमें पारदिर्शता कितनी है।

  STEP 3. – योजनाओं के आदर्श मिश्रण का चुनाव करें।

ऐसा भी हो सकता है कि सिफ‍र् एक म्यूचुअल फंड योजना में निवेश करने से आपकी सभी निवेश जरूरतें पूरी न हों। इसलिए अपने विशिष्ट लक्ष्यों को पाने के लिए आपको योजनाओं के एक अच्छे मिश्रण पर विचार करना चाहिए।

STEP 4. नियमित तौर पर निवेश करें।

अधिकांश निवेशकों के लिए निवेश करने की सबसे उत्तम अवधारणा यही रहती है कि वे थोड़े–थोड़े समयान्तरालों जैसे कि मासिक आधार पर एक निश्चित राशि निवेश करते रहें। हर महीने एक निश्चित धनराशि निवेश करके आप जब मूल्य अधिक होता है तब कुछ युनिटें पाते हैं और जब मूल्य कम होते हैं जब आपको अधिक यूनिटें मिलती हैं। इस तरह आपकी प्रति यूनिट औसत लागत कम हो जाती है। इसे रुपया–लागत औसतन कहते हैं। दुनियाभर में निवेशकों द्वारा अपनायी जा रही यह अनुशासित निवेश रणनीति मानी जाती है। सुनियोजित निवेश प्रदान करने वाली इस निवेश योजना में विकल्प खुले रहते हैं।  इसलिए यह आपके लिए उत्तम नियमित निवेश योजना है।

  STEP 5. कर बचत का ध्यान रखें।

वर्तमान कर नियमों के अनुसार म्यूचुअल फंडों द्वारा लाभांश/आय वितरण निवेशक के हाथ में आने तक आयकर से मुक्त होता है। लेकिन ऋण योजनाओं की दशाओं में लाभांश/आय वितरण पर लाभांश वितरण कर लागू होता है। वर्तमान कर नियमों के विभिन्न प्रावधानों के तहत भी म्यूचुअल फंडों में निवेश के कई अन्य लाभ भी हैं। इसलिए म्यूचुअल फंडों में निवेश करके अधिकतम आय अर्जित करने के लिए आपको अपने कर–सलाहकार या चाट‍रेर्ड एकाउंटेंट से सलाह अवश्य लेनी चाहिए।

STEP 6.  निवेश में देर न करें।

निवेश जितनी जल्दी हो सके, आरम्भ करें और नियमित निवेश योजना बनायें। यदि आप रुककर निवेश करने के बजाय अभी से निवेश करना शुरू करेंगे कहीं ज्यादा आय अर्जित कर सकते हैं। चक्रवृद्धि दर से आपको आय पर आय अर्जित करने का अवसर मिलता है और आपका निवेश भी चक्रवृद्धि दर से ही बढ़ता रहता है।

STEP 7.अन्तिम चरण

आपको म्यूचुअल फंड या अपने सलाहकार से सम्पर्क करने की जरूरत है और निवेश आरम्भ करना है। आने वाले सालों में निवेश का लाभ कमाना है। म्यूचुअल फंड हर तरह के निवेशकों के लिए बिल्कुल उचित निवेश योजना है। चाहे आप अपना करियर शुरू कर रहे हैं या रिटायर होने जा रहे हैं, परम्परागत तरीके से धन वृद्धि चाहते हैं या जोखिम उठाना चाहते हैं या नियमित आय चाहते हैं,हर किसी के लिए यह निवेश का सर्वोत्तम साधन है।

म्यूचुअल फंड यूनिटधारक के तौर पर आपके अधिकार

सेबी (म्यूचुअल फंड्स नियमन) के अधीन आने वाली म्यूचुअल फंड योजना में यूनिटधारक होने के नाते आपके निम्नलिखित अधिकार हैं:    

खुले विकल्प वाली योजना में सिब्स्क्रप्शन बन्द होने के 30 दिनों के अन्दर या म्यूचुअल फंड से यूनिट प्रमाणपत्र मंगने का आवेदन मिलने की तिथि के 6 सप्ताह के अन्दर आपको अपने नाम से प्रमाण–पत्र या अपने खाते का विवरण प्राप्त करने का अधिकार   
निवेश नीतियों, निवेश उद्देश्यों, वित्तीय स्थिति और योजना से जुड़े साधारण तथ्यों की जानकारी प्राप्त करने का अधिकार

डिविडेण्ड की घोषणा के बाद 30 दिनों की अवधि के अन्दर लाभांश प्राप्त करने और पुनर्खरीद या भुगतान होने की तिथि के बाद 10 दिनों के अन्दर इसकी सूचना मिलने का अधिकार

नियमों के अनुसार मताधिकार का अधिकार
    a. सम्पति प्रबन्धन कम्पनी (एएमसी) बदलने के लिए
    b. ण्योजना का समापन करने के लिए


किसी भी योजना की बुनियादी सेवा–शर्तों या विशेषताओं में परिवर्तन या किसी अन्य प्रकार के परिवर्तन, जिससे कम्पनी का स्वरूप प्रभावित हो और यूनिटधारकों के हितों पर उसका प्रभाव पड़े, होने पर ट्रस्टी मण्डल से सूचना पाने का अधिकार, जिससे कि यूनिटधारक चालू शुद्ध सम्पति मूल्य पर योजना से बाहर निकलने के विकल्प का प्रयोग समय पर कर सके।

प्रस्ताव दस्तावेज़ों में वर्णित म्यूचुअल फंडों के प्रपत्रों का निरीक्षण करने का अधिकार

अपने अधिकारों के अतिरिक्त आप म्यूचुअल फंडों से निम्नलिखित की भी मांग कर सकते हैं:
   
नियमों के अनुसार नैव का प्रकाशन: खुले विकल्प वाले म्यूचुअल फण्डों की दशा में दैनिक और सीमित विकल्प वाले फण्डों की दशा में साप्ताहिक आधार पर।   
साल में दो बार आपके फंड का पूरा ब्यौरा यानि छमाही अनअंकेक्षित वित्तीय परिणाम, और साल में एक बार अंकेक्षित वार्षिक खातों का प्रकाशन। कई म्यूचुअल फंड समय–समय पर अपनी समाचार–पत्रिका भी प्रकाशित करती हैं।
आचार संहिता का पालन, जिससे यह सुनिश्चित हो कि यूनिटधारकों के हित में ही निवेश के निर्णय लिये गये हैं।


म्यूचुअल फंडों के दस लाभ

    पेशेवर प्रबन्धन
    विविधीकरण
    सुविधाजनक प्रशासन
    आय की संभावना
    कम लागत
    तरलता
    पारदिर्शता
    लोच
    मनचाही योजना
    कुशल नियमन


आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले शब्द
 
शुद्ध सम्पति मूल्य (नैव) अर्थात् Net Asset Value (NAV)
शुद्ध सम्पति मूल्य (नैव) दायित्वों को घटाने के बाद निकला योजना की सम्पतियों का बाजार मूल्य होता है। प्रति यूनिट नैव योजना का शुद्ध सम्पति मूल्य होता है। मूल्यांकन तिथि को योजना के शुद्ध सम्पति मूल्य को अदत्त यूनिटों की संख्या से विभाजित करने पर इसकी गणना होती है।

विक्रय मूल्य
यह वह मूल्य होता है जिस पर आप योजना में निवेश करते हैं। इसे प्रस्ताव मूल्य भी कहा जाता है। इसमें विक्रय भार भी शामिल हो सकता है।

पुनर्खरीद मूल्य
खुले विकल्प वाली योजनाओं में म्यूचुअल फंड दुबारा यूनिट खरीदते हैं, इसे ही पुनर्खरीद मूल्य कहते हैं। ऐसे मूल्य नैव से जुड़े हुए होते हैं।

भुगतान मूल्य
परिपक्वता के समय जिस मूल्य पर सीमित विकल्प वाली योजना का भुगतान किया जाता है, उसे भुगतान मूल्य कहा जाता है। ऐसे मूल्य नैव से जुड़े हुए होते हैं।

विक्रय भार
यह योजना में यूनिट बेचते समय होने वाला खर्च होता है, जिसे योजना द्वारा वसूला जाता है। इसे फ्रन्ट–एन्ड लोड भी कहा जाता है। जिन योजनाओं में विक्रय भार वसूल नहीं किया जाता, उन्हें नो लोड योजना कहा जाता है।

पुनर्खरीद या बैक–एन्ड भार
यह वह खर्च है जो योजना द्वारा यूनिट दुबारा खरीदने पर यूनिटधारकों से वसूला जाता है।



«
Next
Newer Post
»
Previous
Older Post

No comments:

Post a Comment