सर्किट क्या है? सर्किट के जरिए शेयर बाजार में एक व्यापारिक सत्र में एकतरफा उड़ान पर लगाम लगाने के लिए किसी भी शेयर या सूचकांक में सर्किट लगाया जाता है। उदाहरण के तौर पर किसी शेयर में 5 फीसदी का सर्किट लगाया गया और कल वह शेयर 100 रुपये पर बंद हुआ है तो दूसरे दिन उसमें 95 से 105 रुपए के दायरे में ही कारोबार किया जा सकता है। सर्किट दो प्रकार के होते हैं- अपर सर्किट और लोअर सर्किट। इसमें किसी शेयर में बिकवाली की जा सकती है लेकिन उसे खरीदा नहीं जा सकता है।
अगर लोअर सर्किट लगाया जाता है तो उस स्थिति में उसमें केवल खरीदारी तो की जा सकती है लेकिन उसे बेचा नहीं जा सकता है। सर्किट वायदा कारोबार में शामिल शेयरों के अलावा सभी शेयरों में सर्किट लगता है। वायदा कारोबार वाले शेयरों में एक ही दिन में कितनी भी बढ़त दर्ज की जा सकती है या फिर इसमें कितनी भी गिरावट देखी जा सकती है। इसलिए वायदा कारोबार में शामिल शेयरों में सर्किट नहीं लगाया जा सकता है।
अगर लोअर सर्किट लगाया जाता है तो उस स्थिति में उसमें केवल खरीदारी तो की जा सकती है लेकिन उसे बेचा नहीं जा सकता है। सर्किट वायदा कारोबार में शामिल शेयरों के अलावा सभी शेयरों में सर्किट लगता है। वायदा कारोबार वाले शेयरों में एक ही दिन में कितनी भी बढ़त दर्ज की जा सकती है या फिर इसमें कितनी भी गिरावट देखी जा सकती है। इसलिए वायदा कारोबार में शामिल शेयरों में सर्किट नहीं लगाया जा सकता है।
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